Wednesday 28 August 2013

modi aao, desh bachaao video album ki shooting surat me

hasyakavi albela khatri full support to narendra modi

brahmkhatri support to narendra modi

modi aao, desh bachaao video album by hasyakavi albela khatri

Monday 26 August 2013

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता' वो बोले, 'यही तो लोकराज है'


उस रात रेल में

गुजरात मेल में

हमने मौका देख कर एक पैग लगाया


थोड़ा बहुत खाना खाया

अपनी आरक्षित शायिका पर बिस्तर बिछाया

और बत्तीसी पर ब्रश रगड़ कर बन्दा जैसे ही वापस आया

तो पाया

एक ठिगना सा,

मोटा सा गंजा सा,

भद्दा सा

नेतानुमा खादीधारी व्यक्ति

हमारी शायिका पर काबिज़ हो गया है

और हमारे ही बिछाए बिस्तर पर बेधड़क सो गया है

हमने उसे झिंझोड़ कर जगाया और बताया

कि भाया ये शायिका हमारी है

वो बोला, 'शायिका क्या पूरी गाड़ी तुम्हारी है'

हमने कहा, 'हमने इसका पैसा दिया है'

वो बोला, 'तो मुझ पे क्या ऐहसान किया है?'

फिर ख़ुद ही गैंडा छाप सिगरेट का

मुड़ा-तुड़ा पैकेट हमारी तरफ़ बढ़ाते हुए बोला,

'गुस्सा मत कीजिए, लीजिए गैंडा छाप सिगरेट पीजिए'

हमने कहा, 'हम बीड़ी के शौकीन हैं, सिगरेट नहीं पीते'

वो बोला, 'जनाब! एक कश लगा कर तो देखिए,

'ज़िन्दगी रंगीन हो जाएगी'

हमने कहा, 'आप हमें आस्तीन चढ़ाने को मजबूर मत कीजिए'

नेता बोला, 'श्रीमान जी, शान्त हो जाइए

लीजिए मुफ़्त की सिगरेट पीजिए'

यह कह कर नेता ने

हमारी तरफ़ सिगरेट का पैकेट बढ़ा दिया

फोकट में मिलती देख हमारे भी मुंह में

तलब का पानी आ गया

हमने एक सिगरेट निकाल कर अधरों से लगाया सुलगाया

और एक हाहाकारी सुट्टा लगाया तो

हमारा पूरा दिमाग़ बेयरिंग सा घूमने लगा

और शरीर बेवड़े की भांति झूमने लगा

खोपड़ी में प्रलयंकारी चक्कर आने लगे

तो नेता जी हमें देख कर मुस्कुराने लगे

हमने कहा, 'आपको बत्तीसी निकालते हुए शर्म नहीं आती?'

वो बोले, 'हमें तो मज़ा आ रहा है,

हमारी सिगरेट में मिला गांजा रंग ला रहा है

अब आप रात भर परेशान होते रहेंगे

और हम तुम्हारी बर्थ पर गदहे बेच कर सोते रहेंगे'

हमने कहा, 'तुमने छल किया है'

वो बोला, 'इस देश का नेता और करता ही क्या है?

अब जो हो रहा है होने दो हमें चुपचाप सोने दो'

हमने कहा, 'हमारे भेजे में कुछ अटक रहा है'

वो बोले, 'गांजे का धुआं है,

जो अबु सलेम की तरह बाहर निकलने को भटक रहा है'

हमने कहा, 'तबीयत घबरा रही है'

वो बोले, 'डरो मत, सोनिया एंड पार्टी रूपया गिरा रही है'

हमने कहा, 'दम घुट रहा है'

वो बोले, 'देश लुट रहा है'

हमने कहा, 'चित्त परेशान है'

वो बोले, मनमोहन महान है'

हमने कहा, 'जान पे बन आई है'

वो बोले, 'ये कांग्रेस आई है'

हमने कहा, 'दर्द बढ़ता ही जा रहा है'

वो बोले, 'मतदान का दिन नज़दीक आ रहा है'

हमने कहा, 'यमदूत नज़र आ रहे हैं'

वो बोले, 'नीतिश कुमार के दिन ख़राब आ रहे हैं'

हमने कहा, 'मौत का खटका है'

वो बोले, 'ये नरेन्द्र मोदी का झटका है'

हमने कहा, 'हम मर जाएंगे'

वो बोले, 'मंदिर वहीं बनाएंगे'

हमने कहा, 'बाल-बच्चे क्या खाएंगे?'

वो बोले, 'ये लालू यादव बताएंगे'

हमने कहा, 'कुछ सुनाई नहीं देता'

वो बोले, 'ये जनता की आवाज़ है'

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता'

वो बोले, 'यही तो लोकराज है'

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



Saturday 24 August 2013

हमने कहा, 'तबीयत घबरा रही है' वो बोले, 'डरो मत, सोनिया एंड पार्टी रूपया गिरा रही है'


उस रात रेल में

गुजरात मेल में

हमने मौका देख कर एक पैग लगाया


थोड़ा बहुत खाना खाया

अपनी आरक्षित शायिका पर बिस्तर बिछाया

और बत्तीसी पर ब्रश रगड़ कर बन्दा जैसे ही वापस आया

तो पाया

एक ठिगना सा,

मोटा सा गंजा सा,

भद्दा सा

नेतानुमा खादीधारी व्यक्ति

हमारी शायिका पर काबिज़ हो गया है

और हमारे ही बिछाए बिस्तर पर बेधड़क सो गया है

हमने उसे झिंझोड़ कर जगाया और बताया

कि भाया ये शायिका हमारी है

वो बोला, 'शायिका क्या पूरी गाड़ी तुम्हारी है'

हमने कहा, 'हमने इसका पैसा दिया है'

वो बोला, 'तो मुझ पे क्या ऐहसान किया है?'

फिर ख़ुद ही गैंडा छाप सिगरेट का

मुड़ा-तुड़ा पैकेट हमारी तरफ़ बढ़ाते हुए बोला,

'गुस्सा मत कीजिए, लीजिए गैंडा छाप सिगरेट पीजिए'

हमने कहा, 'हम बीड़ी के शौकीन हैं, सिगरेट नहीं पीते'

वो बोला, 'जनाब! एक कश लगा कर तो देखिए,

'ज़िन्दगी रंगीन हो जाएगी'

हमने कहा, 'आप हमें आस्तीन चढ़ाने को मजबूर मत कीजिए'

नेता बोला, 'श्रीमान जी, शान्त हो जाइए

लीजिए मुफ़्त की सिगरेट पीजिए'

यह कह कर नेता ने

हमारी तरफ़ सिगरेट का पैकेट बढ़ा दिया

फोकट में मिलती देख हमारे भी मुंह में

तलब का पानी आ गया

हमने एक सिगरेट निकाल कर अधरों से लगाया सुलगाया

और एक हाहाकारी सुट्टा लगाया तो

हमारा पूरा दिमाग़ बेयरिंग सा घूमने लगा

और शरीर बेवड़े की भांति झूमने लगा

खोपड़ी में प्रलयंकारी चक्कर आने लगे

तो नेता जी हमें देख कर मुस्कुराने लगे

हमने कहा, 'आपको बत्तीसी निकालते हुए शर्म नहीं आती?'

वो बोले, 'हमें तो मज़ा आ रहा है,

हमारी सिगरेट में मिला गांजा रंग ला रहा है

अब आप रात भर परेशान होते रहेंगे

और हम तुम्हारी बर्थ पर गदहे बेच कर सोते रहेंगे'

हमने कहा, 'तुमने छल किया है'

वो बोला, 'इस देश का नेता और करता ही क्या है?

अब जो हो रहा है होने दो हमें चुपचाप सोने दो'

हमने कहा, 'हमारे भेजे में कुछ अटक रहा है'

वो बोले, 'गांजे का धुआं है,

जो अबु सलेम की तरह बाहर निकलने को भटक रहा है'

हमने कहा, 'तबीयत घबरा रही है'

वो बोले, 'डरो मत, सोनिया एंड पार्टी रूपया गिरा रही है'

हमने कहा, 'दम घुट रहा है'

वो बोले, 'देश लुट रहा है'

हमने कहा, 'चित्त परेशान है'

वो बोले, मनमोहन महान है'

हमने कहा, 'जान पे बन आई है'

वो बोले, 'ये कांग्रेस आई है'

हमने कहा, 'दर्द बढ़ता ही जा रहा है'

वो बोले, 'मतदान का दिन नज़दीक आ रहा है'

हमने कहा, 'यमदूत नज़र आ रहे हैं'

वो बोले, 'नीतिश कुमार के दिन ख़राब आ रहे हैं'

हमने कहा, 'मौत का खटका है'

वो बोले, 'ये नरेन्द्र मोदी का झटका है'

हमने कहा, 'हम मर जाएंगे'

वो बोले, 'मंदिर वहीं बनाएंगे'

हमने कहा, 'बाल-बच्चे क्या खाएंगे?'

वो बोले, 'ये लालू यादव बताएंगे'

हमने कहा, 'कुछ सुनाई नहीं देता'

वो बोले, 'ये जनता की आवाज़ है'

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता'

वो बोले, 'यही तो लोकराज है'

जय हिन्द !
अलबेला खत्री




Friday 16 August 2013

श्री नरेन्द्र भाई मोदी से हास्यकवि अलबेला खत्री की विनम्र अपील




आदरणीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी,
माननीय मुख्यमंत्री, गुजरात शासन

सन्दर्भ :  लोकसभा चुनाव 2014 में गठबन्धन मुक्त भा.ज.पा. के लिए निवेदन

श्रद्धेय मोदीजी,
जय हिन्द !
भारत के सुखद भविष्य  तथा  गुजरात की तर्ज़ पर समूचे भारत के अप्रतिम  उत्थान के लिए  बहुत  ज़रूरी है कि  इस बार केवल भारतीय जनता पार्टी की गठबन्धन  मुक्त सरकार बने . किसी भी दूसरे दल से इस बार चुनावी गठबन्धन न किया जाये . क्योंकि  इस बार समूचा भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फैला भारतीय समाज आपके साथ है और आपको दिल्ली के सिंहासन पर देखना चाहता है . यह एक लोक लहर है  जो पूरी तरह आपके लिए है, भारतीय जनता पार्टी के लिए है.  इस लोक लहर का लाभ लेना ही श्रेयस्कर होगा .

भगवान न करे,  यदि अकेले दम पर  आपकी सरकार न बन पाये तो भी  विपक्ष के नेता तो आप ही रहेंगे और  एक मजबूत विपक्ष  किसी भी देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था का  प्राण होता है .

ये देश अब नहीं चाहता कि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी वाली स्थिति दोहराई जाये . केवल चन्द  सीटों का लाभ लेने के लिए  ऐसे  अवसरवादी क्षेत्रीय दलों को साथ हरगिज़ न लिया जाये जिन्हें बाद में सम्हालना भारी पड़े .

आदरणीय,
आपके ऊर्जस्वित नेतृत्व में  गुजरात ने चन्द अरसे में ही इतनी तरक्की इसीलिए प्राप्त कर ली  क्योंकि  यहाँ आपकी सरकार गठबन्धन मुक्त है . मैं इस योग्य नहीं कि  आपको राजनीति  सिखा सकूँ परन्तु देश का एक नागरिक होने के नाते देश के हित में मुझे जो ज़रूरी लगा वह आपके समक्ष विनम्रता पूर्वक  निवेदन कर दिया है .

आपके लिए आत्मिक शुभकामनाओं सहित


- अलबेला खत्री, सूरत



Tuesday 6 August 2013

नरेन्द्र मोदी को दिल्ली पहुँचाओ ताकि ये देश, देश की अस्मिता व देश की एकता-अखंडता बची रहे .



क्या हो रहा है भाई, ये क्या चल रहा है इस देश में? जिसे देखो वही हमारे प्रधानमन्त्री का मज़ाक उड़ा रहा है और उन्हें मैडम के हाथों की कठपुतली बता रहा है। न कोई आव देख रहा है न ताव, सब के सब लठ्ठ लेकर पीछे पड़े हैं और एक ही बात सिद्घ करने पर तुले हैं कि मनमोहनजी कमज़ोर हैं, मजबूत नहीं हैं। पहले इस प्रकार की बातें सिर्फ भाजपा वाले ही कर रहे थे, अब तो यूपीए के कुछ सदस्यों ने भी इसे बाहरी समर्थन देना शुरु कर दिया है। हालांकि सोनिया भाभी, राहुल बाबा और प्रियंका बेबी के साथ-साथ सिब्बल, संघवी और शर्मा जैसे महारथी बारम्बार देश को भरोसा दिला रहे हैं कि चिन्ता की कोई बात नहीं, सिंह साहब पर्याप्त मजबूत हैं, लेकिन लोग हैं कि टस से मस नहीं हो रहे, बस एक ही गाना गा रहे हैं कि देश को मजबूत प्रधानमन्त्री चाहिए इसलिए लौहपुरूष लालकृष्ण अडवाणी या नरेन्द्र मोदी ही चाहिए।

अब अडवाणीजी या मोदीजी लौहपुरूष हैं या नहीं ? और हैं तो कितने बड़े लौहपुरूष हैं अथवा  कितना लोहा उनसे यह देश निकाल पायेगा इस मसले पर माथाफोड़ी करने का यह सही समय नहीं है। अभी तो चर्चा के हीरो डॉ. मनमोहन सिंह हैं। जो कि बाइपास सर्जरी के बावजूद जगह-जगह घूमकर देश-विदेश में भाषण  दे रहे हैं तथा  रात-दिन देश की चिन्ता में दुबले हुये जा रहे हैं जबकि  विरोधी लोग हैं कि उन्हें मजबूत ही नहीं मान रहे हैं। भई कमाल है। ये तो सरासर ज़्यादती है, ज़्यादती ही नहीं ज़ुल्म है।

अरे जिस आदमी के राज में कभी बनारस, कभी जयपुर, कभी असम, कभी अहमदाबाद, कभी मालेगांव तो कभी मोडासा में बम फूटते रहे लेकिन सैकड़ों लाशें देखकर भी जिसका दिल नहीं पसीजा, उसे आप मजबूत नहीं मान रहे?

सूरत में तापी, बिहार में कोसी, असम में ब्रहमपुत्र और यूपी में गंगा नदियों के कहर ने जो कोहराम मचाया था उससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की आँखें नम हो गयी थी। हजारों लोग मरे, लाखों मवेशी और पक्षी मरे, लाखों करोड़ रूपये का नुकसान हुआ लेकिन सिंह साहब और उनकी मण्डली का ध्यान सेंसेक्स में ही रमा रहा। इस तबाही पर भी जिसकी आँखें नहीं भीगी, उसे आप कमज़ोर बता रहे हैं ?  केदारनाथ की जिस लोमहर्षक विभीषिका पर पहाड़ों के पथरीले सीने भी फट पड़े........रब की आँखें भी हज़ारों शव एक साथ  देख भीग गयी होंगी ... वहां मरने वालों के अन्तिम संस्कार तक की प्रक्रिया को भी जिस व्यक्ति के राज में क्रूरता और अमानवीयता के साथ किया गया, उसे आप कमज़ोर मान रहे हैं ?


कुछ दिन पहले  पाकिस्तानियों ने हमारे जवानों के सिर काट डाले थे, कल रात को फिर  पाकिस्तानियों ने हमारे 5  जवान मौत के घाट उतार दिए जिस पर किसी तरह की जवाबी कार्रवाही अभी तक नहीं की गई, चीन हमारे इलाके में घुसा चला जा रहा है लेकिन मौनी बाबा का मौन व्रत कायम है .  दामिनी के साथ जो दरिन्दगी हुई या छतीसगढ़ में जो रक्तपात हो रहा है उसे देख कर जो बन्दा तनिक भी विचलित नहीं है  और लगातार वैश्विक स्तर पर भारत व भारतीय रूपये की वाट लगाने में जुटा हुआ है, उसे  कमज़ोर कहना उचित नहीं .......अरे यह तो हीरा है हीरा ...बल्कि उससे भी कहीं ज़्यादा कठोर . 
मुंबई में इतना बड़ा आतंकवादी हमला हुआ। पूरा देश जाग गया और पाकिस्तान के विरूद्घ कार्यवाई की मांग करने लगा, लेकिन इनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, तब भी आप इनको कमज़ोर बता रहे हो। अरे पाकिस्तान के रास्ते तालिबानी हत्यारे लगातार हमारे लिए खतरा बने हुये हैं और सारी सुरक्षा एजेन्सियां व गुप्तचर संस्थाएं सतर्कता बरतने की हिदायत दे रही हैं इसके बावजूद वे चुनाव प्रचार में जुटे हुये हैं। जिस आदमी को डर और भय नाम की चीज नहीं है, उसे आप मजबूत नहीं समझते? और तो और, आम आदमी आमतौर पर एक ही महिला से परेशान हो जाता है जबकि ये भला मानस घर में तो जो सहता है वो सहता है, घर से बाहर भी दिनभर एक महिला के इशारों पर नाचता है फिर भी आप उसे मजबूत नहीं कहते। अटल बिहारी वाजपेयी कुंवारे थे इसके बावजूद उनके घुटने खराब हो गये थे, इस आदमी का सामर्थ्य तो देखो, शादीशुदा है और इस उम्र में भी जनपथ पर उठक-बैठक लगाता है, लेकिन अभी तक उसके घुटने सही सलामत हैं...बोलो...और कितना मजबूत प्रधानमन्त्री चाहिए ?

चारों तरफ मौत नाच रही है। गुजरात में हीरा कारीगरों के परिवार आत्महत्याएं कर रहे हैं, महाराष्ट्र में किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं, बिहार में नक्सलवादी हत्याएं कर रहे हैं, पूंजी बाज़ार की गिरावट न जाने कितनी जानें ले चुकी है, उड़ीसा में अकाल और भुखमरी का ताण्डव हो रहा है और ऐसे में भी जो प्रधानमन्त्री पब्लिक के आंसू पोंछने के बजाय मुद्रास्फीति में कमी पर खुश हो रहा है और जीडीपी में वृद्घि बता-बताकर स्वयं ही अपनी पीठ ठोंक रहा है,

इतना मजबूत प्रधानमन्त्री मैंने तो आजतक नहीं देखा। भारत की क्या, पूरी दुनिया में नहीं देखा। इसलिए मेरा मानना है कि देश का नेता मजबूत नहीं चाहिए, अब तो जनता मजबूत चाहिए। नेता तो कमज़ोर ही चाहिए कमज़ोर यानी कम-ज़ोर अर्थात जो पब्लिक पर ज़ोर कम करे, ज़ुल्म कम करे, प्रधानमन्त्री ऐसा लाओ। कहीं ऐसा न हो, सरकार तो मजबूत बन जाए और जनता निर्बल बनी रहे।


प्लीज... जनता मजबूत बनाओ और अगली बार नरेन्द्र मोदी जैसा कोई ढंग का आदमी दिल्ली पहुँचाओ ताकि  ये देश बचा रहे ...देश की अस्मिता बची रहे  और देश की एकता व अखंडता बची रहे .

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 
नरेन्द्र मोदी जैसा आदमी दिल्ली पहुँचाओ

नरेन्द्र मोदी जैसा आदमी दिल्ली पहुँचाओ

नरेन्द्र मोदी जैसा आदमी दिल्ली पहुँचाओ